अल्ला मेघ दे पानी दे, जीवन कर धानी ,मौला मेघ दे
इक जिन्दगानी दे कोई कहानी दे,कोई कहानी,अल्ला मेघ दे
नयनों के कोर सूखे
आँचल के छोर सूखे
मन के चकोर छूटे
आशा की डोर टूटे
मेरे हैं गात वॆसे
ऎसी हूक दे कूक दे पीक कुंआरे, अल्ला मेघ दे
इक जिन्दगानी दे कोई कहानी दे,कोई कहानी,अल्ला मेघ दे
नयनों के कोर सूखे
आँचल के छोर सूखे
मन के चकोर छूटे
आशा की डोर टूटे
मन को पीर दे नीर दे, नीर दो खारे,अल्ला मेघ दे
तरुवर के पात जैसेमेरे हैं गात वॆसे
कोई पतझड आये
जीवन निधि ले न जाये
इसको प्यास दे आश दे ,बोल दो प्यारे, अल्ला मेघ दे
पनघट मे शाम जायें
फिर भी कोई न आये
पंछी बिन गीत गाये
मेरे अंगना से जाये
इसको रीत दे सीख दे ,गीत दे प्यारे,अल्ला मेघ दे
ममता के दे वो साये
दिल में जो आश जगाये
नन्ही किलकारी भाये
गोदी छुप मुझे सताये
ऎसी हूक दे कूक दे पीक कुंआरे, अल्ला मेघ दे
vikram
4 टिप्पणियां:
बहुत ही उम्दा. खुबसूरत. लिखते रहिये. शुक्रिया.
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साथ ही आपको उल्टा तीर पर जारी बहस में आपके अमूल्य विचारों के लिए भी कहूँगा, व् आमंत्रित करता हूँ, "उल्टा तीर" मंच की ओर से
जश्ने-आज़ादी-२००८ की पत्रिका में अपने विचारों के साथ शिरकत करने हेतु. शुक्रिया
---
यहाँ पधारे;
उल्टा तीर।
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
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