है मेरी वीरान दुनियां
एक अभिलाषा संजोये
नयन हैं अब तक न सोये
एक कविता मेरे मन की, क्या पढेगी आज दुनियां
यादों के खामोश साये
दर्द क्यूँ दिल में जगाये
मेरे दिल में उठ रहे ,तूफान से अनजान दुनियां
रात बीती जा रही है
प्रीत की कुछ रीत भी है
तुम नहीं जो आज आये, कल हसेगी मुझपे दुनियां
vikram
रविवार, 27 जुलाई 2008
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1 टिप्पणी:
बहुत निराशावादी रचना है।.... याद रखें वो सुबह कभी तो आएगी...
यादों के खामोश साये
दर्द क्यूँ दिल में जगाये
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